Peahen expressing from the heart how she is not able to perform her activities as he is always in her mind and soul.
She is expressing her feeling through a Ghazal by Ms ABREEN HASEEB AMBAR from Pakistan ,given below.
ध्यान में आ कर बैठ गए हो तुम भी नाँ
मुझे मुसलसल देख रहे हो तुम भी नाँ
दे जाते हो मुझ को कितने रंग नए
जैसे पहली बार मिले हो तुम भी नाँ
हर मंज़र में अब हम दोनों होते हैं
मुझ में ऐसे आन बसे हो तुम भी ना
इश्क़ ने यूँ दोनों को आमेज़ किया
अब तो तुम भी कह देते हो तुम भी नाँ
ख़ुद ही कहो अब कैसे सँवर सकती हूँ मैं
आईने में तुम होते हो तुम भी नाँ
बन के हँसी होंटों पर भी रहते हो
अश्कों में भी तुम बहते हो तुम भी नाँ
मेरी बंद आँखें तुम पढ़ लेते हो
मुझ को इतना जान चुके हो तुम भी नाँ
माँग रहे हो रुख़्सत और ख़ुद ही
हाथ में हाथ लिए बैठे हो तुम भी नाँ
Image from the wilderness of Delhi taken in January 2020.