The ambience of the image reminds me of a song from the old Hindi movie PATHAR KE SANAM given below.
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार हो ओ ओ
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार हो ओ ओ
ये भी ना जानूँ लहरा के आँचल
किसको बुलाये बार बार
सोचूँ ये हैं उंगलियां किसके प्यार की
गालों को छुये जो डाली बहार की
छुये जो डाली बहार की
सोचूँ ये हैं उंगलियां किसके प्यार की
कौन है ऐ हवा ऐ बहार
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार
पानी में छबी मैं देखूँ खड़ी खड़ी
बालों में सजा के कलियाँ बड़ी बड़ी
सजा के कलियाँ बड़ी बड़ी
पानी में छबी मैं देखूँ खड़ी खड़ी
फिर बनूँ आप ही बेकरार
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार
वादी में निशान मेरे ही पाँव के
फूलों पे हैं रंग मेरी ही छाँव के
हैं रंग मेरी ही छाँव के
वादी में निशान मेरे ही पाँव के
फिर भी क्यूँ आये ना ऐतबार
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार हो ओ ओ
ये भी ना जानूँ लहरा के आँचल
किसको बुलाये बार बार
क्या जाने किसका इंतज़ार
Image from the wilderness of Delhi taken in October 2019.